मार्गदर्शक

"मार्गदर्शक"

वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी ! सुबह उसने बच्चोँ का टेस्ट लिया था और उनकी कापियां देखते-देखते उसके आंसू बहने लगे ! उसका पति वही लेटा टीवी देख रहाँ था उसने रोने का कारण पूछा ! टीचर बोली , ' सुबह मैने बच्चो को 'मेरी सबसे बङी इच्छा ' विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने को कहां था ! एक बच्चे ने इच्छा जाहिर की है कि भगवान उसे टेलीविजन बना देँ ! ' यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे ! टीचर बोली , ' आगे तो सुनो ! बच्चे ने लिखा हैँ-
यदि मैँ टीवी बन जाऊंगा , तो घर मेँ मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा ! जब मैँ बोलूंगा , तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेँगे ! मुझे रोका-टोका नहीँ जाएगा और न ही उल्टे सवाल होँगे !
जब मैँ टीवी बनूंगा , तो पापा आफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेँगे ! मम्मी को जब तनाव होगा , तो वे मुझे डांटेगी नही , बल्कि मेरे साथ रहना चाहेँगी ! मेरे बङे भाई-बहनोँ के बीच मेरे पास रहने के लिए झगङा होगा ! यहां तक कि जब टीवी बंद रहेगा , तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होगी ! और हां , टीवी के रुप मेँ मैँ सबको खुशी भी दे सकूंका !' यह सब सुनने के बाद पति के मुंह से यही निकला , ' हे भगवान ! बेचारा बच्चा ... उसके मां-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीँ देते !' टीचर पत्नी ने आंसू भरी आंखोँ से उसकी तरफ देख और बोली , 'जानते हो , यह बच्चा कौन हैँ ? हमारा अपना बच्चा ... हमारा छोटू !'
सोचिए , यह छोटू कहीँ आपका बच्चा तो नहीं

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