Meri band muthi

मेरी बंद मुठियाँ देखकर जिस-जिस ने मुझसे पूछा, "इनमें क्या है ?" मैंने ईमानदारी से बताया , "इनमें क्या है ? इनमें कदम्ब का फूल है। " और लोगों ने इस पर सहज विश्वास कर लिया। वो तो जब मेरी मुट्ठियों से रक्त कि बूंदे चूने लगीं तब लोगों ने मुझे अविश्वास कि नज़रों से घूरा , मुझसे कहा , "मुट्ठियाँ तो खोलो। " और जब मैंने मुट्ठियाँ खोलीं तो उनमें कंटकीला धतूरे का फल निकला ! मैं शरमाया , मेरा झूठ पकड़ा गया , मुझे अपने पर आश्चर्य हुआ , क्यूंकि मैंने अपनी आखें खोलकर कदम्ब का फूल अपनी मुट्ठियों में लिया था। शायद मैं अपनी भावातिशयता में काँटे को फूल समझा , पर काँटा , काँटा ही कैसे रह गया , फूल क्यूँ नहीं नहीं बना , उसने तो एक कवी का रक्त पिया था। ~ हरिवंश राय बच्चन

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