Shayri : दिल पे दिल पे क्या गुज़री वो अनजान कए
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान कए जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने,
हवा के साथ उड़ गये घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान कए जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने,
हवा के साथ उड़ गये घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !